ओटीटी प्लेटफॉर्म SonyLiv “स्कैम 2003” नामक एक नई वेब श्रृंखला जारी करने जा रहा है, जो भारत में सबसे बड़े स्टांप पेपर घोटाले के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है।
वित्तीय धोखाधड़ी और आपराधिक चालाकी के इतिहास में, अब्दुल करीम तेलगी की कहानी एक काले अध्याय के रूप में सामने आती है। तेलगी द्वारा आयोजित 2003 के घोटाले ने भारत के वित्तीय परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। इस लेख में, हम तेलगी द्वारा रचे गए धोखे के जटिल जाल की पड़ताल करते हैं और इस कुख्यात घोटाले के विवरण को उजागर करते हैं।
परिचय: अब्दुल करीम तेलगी कौन थे?
अब्दुल करीम तेलगी एक ऐसा नाम नहीं था जो अपनी दुस्साहसिक आपराधिक गतिविधियों के खुलासे तक जनता के बीच गूंजता था। 1958 में खानापुर, कर्नाटक, भारत में जन्मे तेलगी के प्रारंभिक जीवन ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि वह अंततः किस कुख्यात रास्ते पर चलेगा।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
तेलगी एक साधारण पृष्ठभूमि से था, लेकिन उसकी महत्वाकांक्षा की कोई सीमा नहीं थी। जीवन ने शुरू में उसे जो कुछ दिया था, उसने उससे कहीं अधिक की आकांक्षा की। कर्नाटक के एक छोटे से शहर से भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण घोटालों में से एक के पीछे का मास्टरमाइंड बनने तक की उनकी यात्रा उल्लेखनीय परिवर्तन की कहानी है।
अब्दुल करीम तेलगी पर आधारित वेब सीरीज
ओटीटी प्लेटफॉर्म SonyLiv “स्कैम 2003” नामक एक नई वेब श्रृंखला जारी करने जा रहा है, जो भारत में सबसे बड़े स्टांप पेपर घोटाले के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है। यह श्रृंखला पत्रकार संजय सिंह की पुस्तक, “तेल्गी स्कैम: रिपोर्टर की डायरी” से अनुकूलित है, जिसे घोटाले की कहानी को उजागर करने का श्रेय दिया जाता है।
2020 में आई ‘पेपर’ अदुल करीम तेलगी पर आधारित एक और वेब सीरीज़ है।
अब्दुल करीम तेलगी घोटाले की रकम
अब्दुल करीम तेलगी का घोटाला लगभग ₹300 बिलियन (US$3.8 बिलियन) का था। उसके 300 मददगार थे जो बैंकों, बीमा कंपनियों और स्टॉक फर्मों जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर नकली स्टांप बेचते थे। यहां तक कि कुछ पुलिस अधिकारी और सरकारी कर्मचारी भी तेलगी के साथ शामिल थे I
Telgi Scam 2003 – 32,000 Cr के Stamp Paper घोटाले का पूरा खुलासा
अब्दुल करीम तेलगी पत्नी
अब्दुल करीम तेलगी की शादी शाहिदा तेलगी से हुई थी और उनकी सना नाम की एक बेटी थी। दोनों ज्यादातर लोगों की नजरों से दूर रहे हैं, हालांकि, 2017 में, शाहिदा तेलगी ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अपने पति की सभी नौ संपत्तियों को जब्त करने की इच्छा का सम्मान करे।
अब्दुल करीम तेलगी राजनेता कनेक्शन
स्टाम्प पेपर घोटाले में कई सरकारी कर्मचारी और राजनेता शामिल थे। तेलगी ने कबूल किया कि उसने कथित तौर पर तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार को भी रिश्वत दी थी। उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल और कर्नाटक के पूर्व मंत्री रोशन बेग का भी नाम लिया। उसने कर्नाटक और महाराष्ट्र के शीर्ष राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों को 20 अरब रुपये का भुगतान करने की बात कबूल की।
अब्दुल करीम तेलगी नेट वर्थ
2003 में, अब्दुल करीम तेलगी की कुल संपत्ति आश्चर्यजनक रूप से 17,000 करोड़ रुपये थी। कथित तौर पर उनके पास पूरे देश में 36 संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है।
घोटाले की उत्पत्ति
नकली स्टाम्प पेपर निर्माण
तेलगी के धोखाधड़ी वाले साम्राज्य की आधारशिला नकली स्टाम्प पेपर निर्माण था। इस ऑपरेशन में नकली सरकार द्वारा जारी स्टांप पेपर का उत्पादन शामिल था, जो कानूनी और वित्तीय लेनदेन में एक महत्वपूर्ण घटक था। तेल्गी के नकली टिकट बेहद प्रामाणिक लग रहे थे, जिससे विशेषज्ञ भी चकमा खा गए।
वितरण नेटवर्क
तेलगी का आपराधिक नेटवर्क बहुत दूर तक फैला हुआ था. उन्होंने एक व्यापक वितरण प्रणाली की स्थापना की जो भारत के कई राज्यों तक फैली हुई थी। इस नेटवर्क ने फर्जी स्टांप पेपरों को बिना सोचे-समझे खरीदारों और व्यवसायों तक पहुंचने में सक्षम बनाया।
धोखे का पैमाना
अरबों रुपये का घोटाला
अब्दुल करीम तेलगी द्वारा आयोजित 2003 का घोटाला कोई छोटा-मोटा ऑपरेशन नहीं था। इसमें अरबों रुपये के नकली स्टांप पेपर का प्रचलन शामिल था। इस घोटाले का पैमाना अभूतपूर्व था और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव गहरा था।
राजनीतिक और प्रशासनिक मिलीभगत
इस घोटाले का सबसे खतरनाक पहलू राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों की कथित संलिप्तता थी। लंबे समय तक दण्ड से मुक्ति के साथ काम करने की तेलगी की क्षमता ने भारत की प्रशासनिक प्रणाली की अखंडता पर सवाल खड़े कर दिए।
सुलझना
गिरफ्तारी और जांच
तेल्गी के कार्यों की विस्तृत प्रकृति के बावजूद, अंततः उसका साम्राज्य ढहना शुरू हो गया। 2001 में, उन्हें कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने गिरफ्तार किया था। बाद की जांच में उसकी धोखाधड़ी संबंधी गतिविधियों का व्यापक खुलासा हुआ।
कानूनी कार्यवाही और दोषसिद्धि
तेलगी के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही एक लंबी और जटिल मामला थी। उन पर जालसाजी, जालसाजी और साजिश सहित कई आरोप लगाए गए। 2007 में, उन्हें दोषी ठहराया गया और कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
विरासत और प्रभाव
सीख सीखी
अब्दुल करीम तेलगी से जुड़े 2003 के घोटाले ने भारतीय अधिकारियों के लिए एक चेतावनी का काम किया। इसने प्रशासनिक रैंकों के भीतर वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए और अधिक कड़े उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
स्टाम्प पेपर सुरक्षा पर प्रभाव
घोटाले के बाद, सरकार द्वारा जारी स्टाम्प पेपर की सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए। इन उपायों का उद्देश्य भविष्य में जालसाजी के प्रयासों को रोकना है।
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निष्कर्ष
अब्दुल करीम तेलगी और 2003 घोटाले की कहानी सावधान करने वाली है। यह वित्तीय प्रणालियों और प्रशासनिक निकायों के भीतर सतर्कता और अखंडता के महत्व को रेखांकित करता है। तेलगी का दुस्साहसिक आपराधिक कैरियर अनियंत्रित भ्रष्टाचार और धोखे के संभावित परिणामों की स्पष्ट याद दिलाता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
अब्दुल करीम तेलगी कौन थे?
अब्दुल करीम तेलगी 2003 घोटाले का मास्टरमाइंड था, जिसमें भारत में नकली स्टांप पेपर का उत्पादन और वितरण शामिल था।
2003 घोटाले का पैमाना क्या था?
इस घोटाले में अरबों रुपये के नकली स्टांप पेपर शामिल थे, जो इसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय धोखाधड़ी में से एक बनाता है।
क्या राजनेता और सरकारी अधिकारी इस घोटाले में शामिल थे?
राजनीतिक और प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप थे, लेकिन संलिप्तता की सीमा अलग-अलग थी और जांच का विषय थी।
इस घोटाले का भारत की वित्तीय प्रणालियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
इस घोटाले ने सुधारों को प्रेरित किया और भविष्य में जालसाजी को रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी स्टांप पेपरों के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए।
अब्दुल करीम तेलगी को दोषी ठहराए जाने के बाद उसका क्या हुआ?
दोषी ठहराए जाने के बाद, तेलगी को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई, जिससे उसके आपराधिक करियर का अंत हो गया।
अंत में, अब्दुल करीम तेलगी और 2003 घोटाले की कहानी वित्तीय प्रणालियों और प्रशासनिक निकायों में सतर्कता और अखंडता की आवश्यकता की याद दिलाती है। तेलगी के दुस्साहसिक आपराधिक करियर और उसके बाद की कानूनी कार्यवाही ने वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से निपटने के भारत के प्रयासों पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
तेलगी को 2001 में सलाखों के पीछे लाया गया और 2017 में उसकी मृत्यु हो गई।